रुद्रनाथ धाम में शुक्रवार को बंद होंगे कपाट, मंदार फूलों से होगी शिव की समाधि
रुद्रनाथ धाम में शीतकाल की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। शुक्रवार सुबह पांच बजे भगवान रुद्रनाथ के कपाट विधि-विधान के साथ बंद किए जाएंगे। उससे पहले भोलेनाथ को मंदार के बुग्याली फूलों से समाधि दी जाएगी—यह परंपरा हर वर्ष कपाट बंद होने से पहले निभाई जाती है।
गोपेश्वर से लगभग 22 किलोमीटर की दुर्गम पैदल यात्रा के बाद पहुंचने वाला यह धाम चारों केदारों में चतुर्थ केदार के रूप में जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि यहीं पांडवों को भगवान शिव ने मुखारविंद रूप में दर्शन दिए थे। यह देश का एकमात्र स्थान है, जहां शिव के मुख स्वरूप की पूजा होती है।
इस बार एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने रुद्रनाथ यात्रा पूरी की है, जो अब तक का रिकॉर्ड है। मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है। शुक्रवार सुबह चार बजे विशेष पूजा और आरती के बाद पांच बजे कपाट बंद होंगे। इसके बाद रुद्रनाथ जी की उत्सव डोली मौली खर्क और सगर गांव होते हुए सूर्यास्त से पूर्व गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर पहुंचेगी, जहां शीतकालीन पूजा की जाएगी।
