मां नंदा सुनंदा महोत्सव: परंपरा के साथ परिसर के बाहर हुई बली प्रथा
शहर में 123 वर्षों से आस्था और परंपरा के प्रतीक मां नंदा सुनंदा महोत्सव का आयोजन होता आ रहा है। इस दौरान मां से मांगी गई मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु बलि देने की परंपरा भी जुड़ी हुई है। हालांकि, आयोजन स्थल नयना देवी मंदिर परिसर में बलि नहीं दी जाती। हाईकोर्ट के 2011 के आदेशों के तहत इस व्यवस्था में बदलाव कर मंदिर में केवल पूजा-अर्चना की जाती है और बलि प्रक्रिया पशु वधशाला में मानकों के अनुसार पूरी की जाती है।
महोत्सव में आने वाले श्रद्धालु अपने बकरों का पंजीकरण प्रवेश द्वार पर कराते हैं। इसके बाद पुलिस सुरक्षा के बीच उन्हें मंदिर में ले जाकर पूजन कराया जाता है और फिर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाकर पशु वधशाला ले जाया जाता है। इस वर्ष कुल 104 बकरों का पंजीकरण हुआ। पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. हेमा राठौर ने बताया कि प्रशासन और पुलिस की निगरानी में पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्वक सम्पन्न कराई गई। इस तरह आस्था और न्यायालयीय निर्देशों के संतुलन के साथ महोत्सव संपन्न हुआ।
