उत्तराखंड की वनभूमि पर हुआ कब्जा, हुआ अवैध निर्माण
एक समय हुआ करता था जब बोला जाता था कि उत्तराखंड पहाड़ों और जंगलों से हरा भरा है। लेकिन अब शहरीकरण और विकास को मद्देनजर रखते हुए जंगलों की भूमि कम होते जा रही है। साथ ही बची हुई जंगली भूमि में अवैध तरीके से लोगों ने अपने रहने का ठिकाना बना लिया है। कहीं लोगों ने घर बना लिए हैं तो कहीं किसी ने पर्यटकों के रुकने के लिए रिज़ॉर्ट या होटल जैसी चीजों को बनाया हुआ है जिससे वे पैसे तो कमा रहे हैं परंतु अवैध तरीके से। इस विषय में वन विभाग के अधिकारियों पर अब गाज गिरनी शुरू हो गई है। अब सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि यह अवैध तरीके से बनाए गए घर रातों-रात तो तैयार हुए नहीं, तो उस समय वन क्षेत्राधिकारी कहाँ थे? सरकार के मुताबिक यह वनभूमि में एक तरह का कब्जा है जिसमें वनकर्मी भी शामिल हैं।
वनकर्मियों की नौकरी पर उठा सवाल
वर्तमान में उत्तराखंड राज्य के 39 वन प्रभागों में कुल 104.54 किलोमीटर वर्ग अतिक्रमणकारियों द्वारा कब्जे में लिया गया है। इतनी भूमि पर अतिक्रमण हो गया और वन अधिकारियों को पता तक नहीं चला, यह संभव नहीं है क्योंकि रातों-रात जंगल काटकर और वहाँ पर भवन निर्माण आदि करना छोटी बात नहीं। अधिकारियों से अगर यह सवाल पूछें तो वे जवाब देने में अक्षम हैं। हालाँकि वन मंत्री आरोपित वन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात तो कर रहे हैं परंतु ऐसी नौबत क्यों आई, इसका जवाब उनके पास भी नहीं।
इस हिसाब से अगर भविष्य की सोचें तो यह बात उत्तराखंड के मूल वासियों के लिए चिंताजनक है क्योंकि राज्य की वन भूमि सदैव ही यहाँ के रहने वाले लोगों के लिए लाभदायक रही है। अगर यह भूमि से लाभ यहाँ के निवासियों को ही नहीं मिल पाएगा, तो यह उत्तराखंड सरकार के लिए शर्म की बात है कि वे अपने ही राज्य के लोगों को उनके मूल अधिकार नहीं दिला पा रही।
